अनजान/अमर
कलम काकज़ और किताब यहां
कलाकार की कला के दीदार यहां
उन जिनाब से पूछो जो हे दूर अकेले
कि मुर्दों के दस्तख़त क्या मिलेंगे यहां?
जिस्म को न मिला कोई सहारा
न हुए तन को दो जोड़ी नसीब
बस एक सूखे फूलों की माला
जो रह गई इस टूटे दिल के करीब
आखिर मैं जब किताब न खुली
न दौड़ा कलम काकज़ पर
अपनो के चेहरों पर दिखी वो शिकन
जैसे सिलवटे हो किसी बिस्तर पर
जब जिस्म था राख बनकर झेलम पर सवार
चील और गिद्ध बने दोस्त उस मौके पर
जिसकी झूठी थाली न छूता था कोई
कफन भी हुआ था नीलाम उस मौके पर
~प्यासा फिल्म का दृश्य
Oh Listen
Listen as if he will die tomorrow
And write so that he lives forever
Who knows…
That the most important story
And a life changing Journey
Was just a question away?
…
A question that you never asked.